औखाणे, आणे, पखाणे

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औखाणे, आणे, पखाणे
औखाणे, आणे, पखाणे

औखाणे, आणे, पखाणे – जैसा कि आप सभी को मालूम हैं कि औखाणै जो कि आणे और पखाणे के नाम से भी जाने जाते है पहाड़ी बोल-चाल में हिंदी भाषा में प्रयोग होने वाले मुहावरों के समान ही हैं। औखाणे बड़े-बुड्ढों द्वारा ज्ञान की बातें बताने तथा कभी हँसी मज़ाक में बोली जाने वाली बातचीत में प्रयोग होने वाली पक्तियां हैं।हर क्षेत्र में वहाँ के लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा में ऐसे अनेक औखाणे प्रचिलित हैं। जिनमे से कुछ औखाणे हमने यहां प्रस्तुत किए हैं।

1. चौबाटा की काली
अर्थ
रौद्र, डरावना रूप
(मुख्य तौर पर महिलाओं के लिए प्रयोग)

2. जख स्यूण नी वख साबलु
अर्थ
जगह, बात, परिस्थिति में जबरन घुसना

3. जन गौडी रमाल छा, तन दुदाल भी होंदी
अर्थ
जितना दिखावा करते है उस से ज्यादा या उस के बराबर काम कर के दिखाना

4. गेडी ना पल्ला दूई ब्योह करला
अर्थ
साधन कम और अपेक्षा बहुत ज्यादा

5. कितला नाग बिरला बाग
अर्थ
जब कोई मासूम, शांत इंसान अचानक भयंकर रूप से प्रस्तुत हो

6. बचया मा नी पिलाई नीर, मरदी दा खिलाई खीर
अर्थ
जब इंसान बचा था तब उसकी इज्जत सेवा नही करी और जब वो मर गया तो उसकी तेहरवी में खीर बांटी जा रही है।

7. धातुली आफूने तरफ काटे।
अर्थ
लोग हमेशा अपने खास लोगों का ही साथ देते हैं ।

8. सासु ले बुआरी थे क्यो, बुआरी ले कुकुर थे क्यो, कुकुर ले पूछड़ी हिला दी ।
अर्थ
जब तुम अपना काम किसी और पर डालते हो तो वह काम पूरा होता ही नहीं है।

9. दै खान्य वाल भाजी गयो, पत्याल चाटन वाल हाथ पड़ी।
अर्थ
जो असली चोर था वह तो भाग गया और जिसने चोरी करी ही नहीं वह पकड़ा गया ।

10. कुकरो मा कबास बांदरो मा नरयो ।
अर्थ: पहली बार कोई चीज मिलती है तो इंसान पागल हो जाता है।
वाक्या: पहली बार फोन मिलने पर मां मिथे बुल्दी, कुकरो मा कबास बांदरो मा नरयो ह्वेग्य स्यु लड़का।

11. सौण में मरी सास, भदो में आया आंस।
अर्थ – झूठी हमदर्दी प्राप्त करने के लिए झूठ बोलना।
वाक्या: मां की मार से बचना कुन कई बार सौण में मरी सास, भदो में आया आंस करण पुडदू।

12. ताप्यु घाम क्या तापड़ ।
अर्थ:जो इंसान पहले से जाना हुआ है उसे दुबारा क्या जानना ।
वाक्या:ताप्यु घाम क्या तापड़ रे तू ता मयार ही दगड़िया छे।

13. एक पंत द्वि (2) काज नि हुंदा।
अर्थ: एक समय पर 2 काम नही होते।
वाक्या: एक पंत द्वि (2) काज नि हुंदा। निथर काम बिगड़ जांदू।

14. पठाल फुटु पर ठकुरान न उठु
अर्थ- पठाल नीचे गिर गया है पर घर की ठकुराइन उठी तक नहीं।
पठाल- मिट्टी के घरों के छत के लिए प्रयोग होने वाला नीला पत्थर।
इस कहावत का प्रयोग ढीट लोगों के लिए किया जाता है जिन्हें किसी के बोलने का कोई भी असर नहीं होता।

15. छोन्दों छबलाट अर निन्दो बल कबलाट
छोन्दों- जरूरत से ज्यादा, निन्दो- जिसने सुबह से खाना नहीं खाया हो
अर्थ- जिसके पास बहुत कुछ होता है वह बहुत दिखावा करता है और जिसके पास कुछ भी नहीं होता है वह हमेशा परेशान रहता है।
इसका मतलब यह है की किसी के पास बहुत कुछ होना और किसी के पास थोड़ा भी नहीं होना।

16. नि होणया बरखा का बड़ा बुंदा, नि होणया छोरों का बड़ा घुंडा
अर्थ- जिस प्रकार बारिश की बड़ी बूंदे कभी नहीं गिरती, वैसे ही छोटे बच्चों के घुटने कभी भी बड़े नहीं होते।
इसका मतलब है कि कुछ लोग कभी-कभी इतनी बड़ी बातें कर देते हैं जो कभी-कभी नामुमकिन सी लगती है।

17. बिराणु बाणा, कुकुर खाणा।
अर्थ- दूसरे के झमेले में नहीं पड़ना चाहिए।

18. जख बामण चार,तख दिन ना बार।
अर्थ- जहाँ सुझाव देने वाले ज्यादा होते हैं वहाँ अंतिम निर्णय तक पहुँचना मुश्किल होता हैं।

19. मामा समान कोई पौणा नी,भंजा समान दान नी।
अर्थ- मामा को सबसे बड़ा मेहमान माना जाता हैं तथा भांजे को दिया गया दान सबसे पुण्या माना जाता हैं।

20. बाप,बेटा और भाई ते दगड़ बाल नी काटन चेन्नी।
अर्थ- घर पे पिता,बेटे तथा भाई को एक साथ बाल नहीं काटने चाहिए।
यह इसलिए मानते हैं क्योंकि जब तुम्हारे परिवार में किसी की मृत्यु होती हैं जो कि तुम्हारे खास हो तब घर पे सभी मर्द अपने सर मुंडवा देते हैं जो कि बुरे समय का या शोक का प्रतीक होता हैं।

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21.भलु कयु, भलु होनू।
अर्थ-किसी का भला करने से खुद के लिए भी अच्छा होता हैं।

22. पढ़ाई लिखाई जाट सोला दूनी आठ
अर्थ: कोई बात बार बार समझाने पर भी समझ न आना।

23. जुओ की डोरन बल घागरू नी छुडेद
अर्थ: जब भी कोइ काम करे तो कठिनाई तो आयेगी ही तो उसके डर से कम नही छोड़ना।

24. जब पेट मा लगी आग, तब क्या चेंदू साग
अर्थ: जब भूख लगी हो तो साधारण सा भोजन भी स्वादिष्ट लागता है।

25. पहली छे बूड गितार, अब नाती दा ह्वेगी
अर्थ: जब कोई व्यक्ति किसी कार्य के लिऐ बहुत रुचि लेता हे ओर उसे वह कार्य करने का अवसर प्राप्त हो जाए।

26. छोटा मां धान ठुला मां मान।
अर्थ: किसी कार्य में सफलता पाने के लिए हमे उस कार्य के लिए पहले से ही मेहनत करनी चहिए।

27. जे गौ बल जान नी वख कु रास्ता भी किले पूछन।
अर्थ: व्यर्थ के कार्यों में हमे अपना समय बर्बाद नही करना चाहिए।

28. माडू फोकियोल, आफ़ी देखियोल।
अर्थ: जो होगा उसका परिणाम सबको पता चल जाएगा।

29. बानै बानै बल्द हरै ग्यो।
अर्थ: ध्यान भटकने के वजह से बना बनाया काम बिगड़ जाना।

30. जात का घोड़ा औलाद का बछड़ा ज्यादा नहीं तो थोड़ा थोड़ा। अर्थ: तुम्हारा जो भी अंश होता है उसमें कोई ना कोई ऐसे गुण जरूर होते है जो साबित करता है कि तुम्हारी संतान ही तुम्हारा खून है।

31. छंछर छाड मंगल भेंट।
अर्थ: कही बाहर से आने पर मंगलवार को अपने परिवार से भेंट नहीं करना चाहिये यदि आ गये तो मिठाई बांटनी चाहिये। यदि अच्छे काम के लिये घर से बाहर जाना हो तो • शनिवार को नहीं जाना चाहिए।

32. रोटी पाथू पाथू गुन पौड़ी ऑन
अर्थ: रोटी बनाते बनाते जो गोला होता है अगर वह नीचे गिर जाता है तो इसकी मान्यता होती है कि घर में कोई आने वाला है।

33. कुटी घांण मथी , सासू रक्रयांदी
अर्थ- काम कोई और करें और श्रेय कोई ओर ले
वाक्य- सारू काम मैन कारी , यू त बस कुटी घांण मथी , सासू रक्रयांदी

34. बांजा घट बस्ता कर्दी और बस्ता घट बांजा कर्दी
अर्थ- सुरु करा हुआ काम छोड़ देना , और कोई दूसरा छोड़ा काम
सुरु करना
वाक्य – किशोर त यानु मनखी जू बांजा घट बस्ता कर्दू और बस्ता घट बांजा कर्दू

35. बंच्या रोला त माटू भी खोला
अर्थ- सबसे जरूरी जिंदगी है अगर जिन्दा रहेंगे तो मिट्टी भी खा लेंगे ।
वाक्य – ये कोरोना काल मा बंच्या रोला त माटू भी खोला ।

36. बुजुर्गों की बात और आवला कु स्वाद बाद मा ही पता चल्दु ।।
अर्थ: बुजुर्गों की बात का और आवला के स्वाद का बाद मे ही पता चलता है।

37. चुल्हा फुंदा उंद फुंद
उंद फुंदा चुल्हा फुंद
अर्थ: दुसरो के साथ अच्छे से रहना और अपनो से बैर रखना |

38. अपनु घौरो शेर और बहरो बिरालू |
अर्थ: अपने घर में तेज चालाक होना और बाहर सीधा शांत व्यवहार का रहना |

39. नौल बुवारीक नौ पुल झाड़।
अर्थ: जब घर में नई बहू आती है तो हम उसके साथ अच्छे से व्यवहार करते हैं उसकी आओ भगत करते है वेसे ही जेसे अग्र वो 1 पुला घास भी लाती ज तो वो 9 पुले जितना याद करेंगे। संक्षेप में नई बहू का छोटा काम।

40. बूड़ बल्द ना आपूं लगौ ना केई के लागण दियो
अर्थ: बिना बात दूसरे के काम में बाधा डालना। खुद तो कुछ काम ना करना और दूसरो को भी ना करने देना।

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41. कैकेक ने खुल की समझी, बाबाक ले नै खाई।
अर्थ: लालची इंसान सब कुछ पाने की लालसा रखता है पर अंत में उसके हाथ कुछ नही आता। लालच बुरी बला है।

42. बच्यु रौलू लाटु ता खाई जालु आटू।
अर्थ: जान है तो जहान है।
वाक्य – गाड़ी चलते वक्त हमेशा हेलमेट पहन के ही गाड़ी चलाए क्योंकि बच्यु रौलु लाटू ता खाइ जालू आटु।

43. साध्यु शिकार और मसूर की दाल बराबर के निहो।
अर्थ: छोटे आदमी की क्षमता बड़े आदमी के अक्षमता से जायदा अच्छा होता है।

44. बाप ना दादा तीसरी पुश्त हरामजादा।
अर्थ: खानदान में सबसे अलग काम करना चाहे वो अच्छा काम हो या बुरा।

45. जक बाला तख खेल ही खेल
जक दूध तख त्योहार ही त्योहार
अर्थ – जहा बच्चे होते हैं वहा बुड्ढे भी बच्चे बन जाते हैं
जहा दूध होता है वहा अक्सर अच्छे पकवान बनते हैं जैसे कि कोई त्योहार हो।
वाक्य:- 80 साल कु बुधिया भी बच्चो गेल बच्चा बन जांदू किले की जख बाला तख खेल ही खेल अर जख दूध तख त्योहार ही त्योहार।

46. पहली खयाल तब बांद कूटरी ।
अर्थ :- हुमेशा इकट्ठा करने की नही सोचनी चाहिए पहले हमे us समय किस चीज की जरूरत है वो देख लेना चाहिए ।
वाक्य :- जनी वेन खाणु देखी कट्ठू करनू शुरू कार्याली अरे लाटा पहली खयाल तब बांद कूटरी।

47. बिन गुरु बाठ नी
बिन कौड़ी हाट नी
अर्थ :- बिना गुरु के रास्ता नहीं है
बिना पैसे के बाजार नही है
वाक्य :- आज मंगतू न अपड़ा गुरु कु अपमान करीके बोहोत गतल करी अब वेसन पता चलालू  की बिन बिन गुरु बाठ नी बिन कौड़ी हाट नी।

48.जख नाक नी तख सोनू
अर्थ :- नाक यहा पर परिवार और सुहाग को दर्शाता है और सोना पैसे को इसका मतलब है की जहा परिवार है वाला पैसा नही है और जहा पैसा है वहा परिवार नही है।
और दोनो की किस्म के लोग एक दूसरे को देख सोचते हैं कि काश मेरे पास भी ये होता ।
वाक्य:- क्या कन वेन इतना बड़ा घोर कु जब वेपर मनखी ही नि छन जख नाक नी बल तख सोनू।

49. ना कर बाबा कथा अर बुये बुबा तैं कर लता ।
अर्थ:- कथा में निवेश ना भी करो पर मां बाप का ध्यान जरूर रखो।
वाक्य:- आज वेन अपणी माजी तैं खाणू नि दिनी तभी त बोलदन ना कर बाबा कथा अर बुये बुबा तैं कर लाटा ।

50.जे देयो बल जग्दीश वे कैकि रीस
अर्थ:- जिसे खुद भगवान दे उसे किसी से कोई जलन नहीं होती।
जितना है उतने में संतुस्थ रहना।
वाक्य:- भगवान कि दया सि हमतै कि चीज की कमी नी … जे देयो बल जग्दीश वे कैकि रीस ।

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51. गोणी तैं अपडु पूॅूछ छोटू ही दिखेंदू ।
अर्थ :- अपनी गलती सबको छोटी ही लग्ती है।
वाक्य:- मंग्तु न अभी तक अपडि गलति नी माणी किले कि गोणी तैं अपडु पूॅूछ छोटू ही दिखेंदू ।

52. गौं तिरौण पर मौ नि तिरौण ।
अर्थ:- कभी भी किसी एक को अकेला मत करो , एक समूह के बीच भी कभी किसी एक को अंदेखा नही करना चाहिए ।
वाक्य :- तुमुन गलत करि सब्यू तैं खाणू तैं बोली पर बिष्ट जी कु परिवार छोडियाली बड़ा बुजुर्ग सुद्दि नि बोल्दा
गौं तिरौण पर मौ नि तिरौण ।

53. छुच्छा बुडरी इन पैली भटीक हिटीदी , त रात क्यों हुनदी
अर्थ :- यदि कोई भी काम टाइम के साथ किया जाता है तो उसे कभी भी परेशानी नहीं होती
वाक्य :- सरियासाल तो पादऊ नीच परबात परीक्षा च त अब परिणी य त उनी बात हुए गई जन छुच्छा बुडरी इन पैली भटीक हिटीदी , त रात क्यों हुनदी ।

54. थूकदु छौ त दूध च , अर घुटंदु छौ त गाल जलद
अर्थ :- दुविधा में दोनों गए , माया मिली ना राम
वाक्य :- अब मैं नौकरी छोड़ो या बुआरी य त तनु होवेगी की थूकदु छौ त दूध च , अर घुटंदु छौ त गाल जलद

55. दूध को जलयू , छाछ भी फोक – फोकी की पिंद
अर्थ :- जिसके साथ एक बार धोखा हुआ रहता है वह अगला कदम सोच समझ कर लेता है।
वाक्य :- जैकु बबा रिकॉल खाई ,ऊ कालू बुझाया देखीकी भी डरदो जन बोलदा छि की दूध को जलयू , छाछ भी फोक – फोकी की पिंद

56. हुणत्यलि डालीका चलचला पात
अर्थ :- होनहार के लक्षण तो बचपन से ही दिखाई देते हैं
वाक्य :- रामू भारी मेहनती लड़का छ, वेन पक्का कुछ कैरी की दिखान, बुलदा ना हुणत्यलि डालीका चलचला पात

WRITTEN AND RESEARCH BY TEAM DEVASTHALI

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