देवभूमि उत्तराखंड में मना था पहला रक्षाबंधन
रक्षाबंधन पूरे भारत देश में काफी खास माना जाता है। इस दिन सभी बहनें अपनी भाईयों की कलाई पर राखी बांधकर भाई का मुंह मीठा करती हैं। भाई की कलाई पर राखी बांधकर उस दिन ये प्रेम और भी मजबूत हो जाता है। सभी भाई अपनी बहनों की रक्षा के लिए प्रण लेते हैं। वहीं, रक्षाबंधन के पीछे एक धार्मिक कहानी है जो की मां लक्ष्मी और राजा दैत्यराज बलि पे आधारित है। धार्मिक कथाओं के अनुसार एक बार राजा बलि स्वर्ग को पाने के लिए एक कठिन तपस्या कर रहे थे, और साथ ही उन्होंने इसी के साथ अस्वमेघ यज्ञ का आयोजन भी किया था। वहीं उनके भय के कारण दूसरे राजा और उनके साथ अन्य देवता भगवान विष्णु जी के पास पहुंचे, उन्होंने भगवान विष्णु को सारी बातें बताई जैसे सुनकर विष्णु जी ने अपना वामन अवतार धारण किया और फिर भगवान विष्णु जी राजा बलि के पास भिक्षा मांगने निकल पड़े। वहीं दैत्यराज बाली भगवान विष्णु के वामन अवतार को पहचान नहीं पाए।

जिसके बाद जब राजा बलि ने उन्हें भिक्षा मांगने को कहा तो भगवान वामन ने उनसे तीन पग जमीन मांग ली। जिसके बाद राजा बलि के हां करते ही, भगवान वामन ने अपना आकार बना लिया और उसके बाद भगवान वामन ने एक पग में स्वर्ग वहीं, दूसरे पग में पृथ्वी नाप ली जबकि तीसरा पग रखने की जगह नही बची। फिर अब राजा बलि के ऊपर संकट खड़ा हो गया क्योंकि उन्होंने तीन पग दिए थे, जिसमे से दो पग भगवान विष्णु ने नाप लिए थे और एक पग बचा हुआ था, राजा बलि अगर अपना वचन तोड़ते तो अधर्म हो जाता, तभी राजा बलि ने भगवान वामन को अपने सिर पर तीसरा पग रखने के लिए कहा। इससे भगवान विष्णु राजा बलि की भक्ति से प्रसन्न हो गए।
यह भी पढ़े : जानिए ज्वालपा देवी की लोक कथा

जिसके बाद भगवान विष्णु को राजा बलि को वरदान मांगने को कहा तो राजा बलि ने वरदान में मांगा की भगवान विष्णु स्वयं उनके दरवाजे पर दिन रात एक पहरेदार की तरह खड़े रहे, और फिर भगवान विष्णु उनके पहरेदार बन गए।
कहा जाता है की जब बहुत दिनों तक भगवान विष्णु स्वर्ग लोक वापस नहीं पहुंचे तो मां लक्ष्मी जी को विष्णु भगवान की चिंता होने लगी। जिसके बाद मां लक्ष्मी ने देखा की वहां पर देवऋषि नारद जी वहां पर भ्रमण कर रहे थे, तभी मां लक्ष्मी ने नारद जी से पूछा की आपने भगवान विष्णु जी को देखा है क्या? उसके बाद नारद जी ने मां लक्ष्मी जी को सारी कहानी बताई। जिसके बाद मां लक्ष्मी जी ने नारद जी से भगवान विष्णु को राजा बलि से वापस लाने का उपाय पूछा, तो नारद जी ने मां लक्ष्मी को कहा की यदि आप राजा बलि को अपना भाई बना लें तो आप भगवान विष्णु को वापस ला सकती है। नारद जी की बात सुनकर मां लक्ष्मी अपना वेष बदलकर पाताल लोक पहुंच गई, उसके बाद पाताल लोक पहुंचकर मां लक्ष्मी रोने लगी तो उसके बाद राजा बलि ने मां लक्ष्मी को रोते हुए देखा, तो माता लक्ष्मी से उनके रोने का कारण पूछा, फिर उसके बाद मां लक्ष्मी ने उन्हें बताया कि उनका कोई भाई नहीं है, इसी वजह से वो रो रही हैं। मां के ये वचन सुनकर राजा बलि ने मां लक्ष्मी से कहा की आप मेरी बहन बन जाओ। उसके बाद मां लक्ष्मी ने उत्तराखंड के महाप्रसिद्ध केदारखंड के त्रीयुगीनारायण मंदिर में राजा बलि की कलाई पर राखी बांधी, इसके बाद राजा बलि ने बहन को उपहार में कुछ मांगने को कहा, तो मां लक्ष्मी ने राजा बलि से पहले वचन मांगा, की जो मांगूंगी वो दोगे, तो राजा बलि ने मां लक्ष्मी को कहा जो चाहिए मांगो फिर मां लक्ष्मी ने वरदान में भगवान विष्णु को मांगा।
यह भी पढ़े : जानिए उत्तराखण्ड के लोकपर्व नंदा अष्टमी के बारे में रोचक तथ्य

ऐसा माना जाता है की तभी से भाई बहन का यह पवन अवसर मनाया जाता हैं। कहा जाता है की भगवान विष्णु जी ने वामन अवतार भी उत्तराखंड के केदारखंड के त्रीयुगीनारायण मंदिर मे ही लिया था। इसलिए उत्तराखंड में भी रक्षाबंधन बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। केदारखंड के त्रीयुगीनारायण मंदिर में माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। ये विवाह स्थल बेहद खास माना जाता है।भगवान विष्णु ने त्रीयुगीनारायण मंदिर मे वामन अवतार इसलिये लिया था क्योंकि जब माता पार्वती की शादी भगवान शिव जी के साथ हुई तो भगवान विष्णु ने इसी स्थान पर मां पार्वती के भाई की सारी रस्में निभाई थी। और इसके साथ ही तीन युग से यहां धूनी जली आ रही है, जिसकी वजह से यहां का नाम त्रीयुगी पड़ा और साथ में तीन युग से यहां अखंड धूनी जल रही है जो की यह स्थान महाऋषि नारायण का है अर्थात त्रीयुगीनारायण। दुनिया भर से लोग यहां पर माता पार्वती और भगवान शिवजी के दर्शन करने को पहुंचते हैं।


RESEARCH AND WRITTEN BY RAVEENA NEGI
interesting story loved it❤️
Interesting ♥️
Adbhut 👌👌👌
Informative
Triyuginarayan ki mahima ❣️❣️ btw there are certain mistakes like baali or Bali ,I think baali is the monkey King
Amazing 💖💖💖
बहतरीन ❤❤
Very Interesting♥️
Loved this article , so authentic and pure . Jai uttarakhand
[…] जाती है।माता का हर एक रूप माँ की एक अलग शक्ति का स्वरूप हैं जो इस बात का प्रतीक हैं […]
Wow❤❤❤
Proud to be an Uttarakhandi♥️🌼
Very well written didi🏔🦚
Very informative 👏